Join Telegram

Join Now

 

 

---Advertisement---

Old Pension Scheme: राज्यों में पुरानी पेंशन योजना बहाल पर बड़ी अपडेट

By
On:
Follow Us

हमारे देश में ओल्ड पेंशन योजना को लेकर पिछले कुछ सालों से काफी ज्यादा चर्चा हो रही है। सरकारी कर्मचारियों के बीच में लगातार यह मुद्दा उठता रहता है क्योंकि यह मामला इनकी वित्तीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। परंतु अब यह बात राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी काफी ज्यादा जरूरी हो गई है।

आपको हम बताते हैं कि साल 2004 में पुरानी पेंशन योजना को एनपीएस से बदल दिया गया था। तब से ही बहुत सारे कर्मचारी संगठनों की तरफ से और राज्य सरकारों की तरफ से लगातार यही मांग की जाती रही है कि पुरानी पेंशन योजना को फिर से लाया जाए।

तो ऐसे में हम आज आपको पुरानी पेंशन योजना को लेकर नई जानकारी देने वाले हैं। आज आपको हम बताएंगे की पुरानी पेंशन योजना देश के कौन-कौन से राज्यों में बहाल की जा सकती है। अगर आप एक सरकारी कर्मचारी हैं तो आपको इसके बारे में जरूर पता होना चाहिए। तो इसलिए सारा विवरण जानने के लिए आपको हमारा आज का यह लेख शुरू से अंत तक पढ़ना होगा।

Old Pension Scheme

पुरानी पेंशन योजना एक ऐसी परिभाषित लाभ वाली योजना थी जिसके माध्यम से सरकारी कर्मियों को सेवानिवृत्ति के पश्चात पेंशन प्रदान की जाती थी। इस प्रकार से कर्मचारी की अंतिम सैलरी का 50% हर महीने पेंशन के तौर पर मिलता था।

इसके अलावा रिटायर होने के बाद कर्मचारियों को महंगाई भत्ते में जो समय-समय पर बढ़ोतरी की जाती थी इसका फायदा भी दिया जाता था। इस तरह से पुरानी पेंशन योजना की सबसे खास बात यह थी कि सरकारी कर्मियों को अपनी सैलरी में से किसी भी प्रकार का कोई योगदान जमा नहीं करना पड़ता था और पेंशन का सारा भार सरकार पर पड़ता था।

इस तरह से हम आपको यह भी बता दें कि ओल्ड पेंशन योजना पे एज़ यू गो के ऊपर आधारित थी और इसका यह मतलब था कि जो वर्तमान के सरकारी कर्मी है इनके करों से रिटायर हो चुके कर्मियों को पेंशन प्रदान की जाती थी। लेकिन यह प्रणाली सरकार के ऊपर वित्तीय तौर पर एक बोझ की जैसी बन गई थी जिसकी वजह से इसे साल 2004 में नेशनल पेंशन स्कीम में बदल दिया गया था।

नेशनल पेंशन स्कीम और ओल्ड पेंशन स्कीम में फर्क

नेशनल पेंशन स्कीम एक परिभाषित अंशदान वाली योजना है और इसलिए इसमें सरकार और कर्मचारी दोनों ही मिलकर पेंशन के फंड में अपना-अपना योगदान जमा करते हैं। इस प्रकार से सरकारी कर्मी अपनी मूल सैलरी और महंगाई भत्ते में से 10% का योगदान अनिवार्य देते हैं।

इस तरह से इस पेंशन योजना में सरकार का जो योगदान होता है वह 14% तक का होता है। तो इस प्रकार से इस धनराशि को बाजार से संबंधित निवेशों में लगाया जाता है। इस तरह से सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन की राशि इस बात के ऊपर निर्भर करती है कि जो धनराशि बाजार में निवेश की गई थी इस पर कितना मुनाफा हासिल हुआ।

इसी प्रकार से अगर हम ओल्ड पेंशन योजना की बात करें तो इसमें बाजार का कोई जोखिम नहीं है और ना ही इसमें अनिश्चितता है। यही कारण है कि पुरानी पेंशन योजना को ज्यादा आकर्षक माना जाता है। इस तरह से ओपीएस में रिटायरमेंट हो चुके सरकारी कर्मियों को एक निश्चित राशि प्राप्त होती है जिसकी वजह से इन्हें वित्तीय स्थिरता मिलती है।

यूनिफाइड पेंशन स्कीम की हुई घोषणा

साल 2024 में 24 अगस्त को हमारी केंद्रीय मंत्रिमंडल ने यूनिफाइड पेंशन योजना को अपनी स्वीकृति प्रदान की थी। तो यह एक ऐसी पेंशन वाली योजना थी जिसे नेशनल पेंशन स्कीम और ओल्ड पेंशन योजना का एक बीच का मार्ग माना गया था। आपको जानकारी के लिए बता दें कि इस योजना को 1 अप्रैल 2025 से लागू होना था। इस तरह से देश के तकरीबन 23 लाख केंद्रीय कर्मियों को यूनिफाइड पेंशन स्कीम का लाभ मिलेगा जिसकी प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं :-

  • सरकारी कर्मियों को 25 वर्षों तक की सेवा के पश्चात अब अंतिम प्राप्त होने वाले मूल वेतन का 50% हिस्सा पेंशन के तौर पर प्राप्त होगा। इस पेंशन वाली योजना का फायदा लेने के लिए जरूरी है कि सरकारी कर्मचारियों ने 10 वर्ष तक नौकरी अवश्य की हो और इस तरह से हर महीने 10000 रूपए की न्यूनतम पेंशन कर्मचारियों को मिल सकती है।
  • एनपीएस के जैसे यूपीएस में भी कर्मचारियों को 10 फीसदी और केंद्र सरकार को 18.5 प्रतिशत का योगदान देना होगा। तो यूपीएस योजना ओल्ड पेंशन स्कीम से काफी अलग है क्योंकि ओपीएस में कर्मचारियों को किसी भी प्रकार का कोई योगदान नहीं देना होता था।
  • पेंशनधारियों को महंगाई के मुताबिक समय-समय पर सरकार द्वारा राहत दी जाएगी।
  • अगर कर्मचारियों की मृत्यु हो जाती है तो तब परिवार को पेंशन का 60% हिस्सा प्रदान किया जाएगा।
  • जब कोई सरकारी कर्मचारी रिटायर होगा तो तब ग्रेच्युटी के अलावा एकमुश्त राशि का भुगतान भी प्रदान किया जाएग

पुरानी पेंशन योजना को लाया जाएगा इन राज्यों में

देश के कुछ गैर-भाजपा शासित राज्यों में अब पुरानी पेंशन योजना को बहाल किया जाएगा। आपको जानकारी के लिए बता दें कि छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब राजस्थान और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में अब सरकारी कर्मियों को नेशनल पेंशन स्कीम का फायदा नहीं मिलेगा बल्कि ओल्ड पेंशन स्कीम का फायदा मिलेगा।

यहां आपको हम जानकारी के लिए बता दें कि हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह की तरफ से अभी 7 जून को एक ट्वीट किया गया था जिसमें उन्होंने कहा है कि इनकी कैबिनेट बैठक में ओल्ड पेंशन को बहाल किया गया है क्योंकि सरकारी कर्मचारियों के लिए यह उपयुक्त है।

इसी प्रकार से कर्नाटक में भी पुरानी पेंशन योजना को लेकर अहम फैसला लिया गया है। इसको लेकर इस साल 5 जून को ज़ी कन्नड़ न्यूज चैनल की तरफ से यह जानकारी दी गई है कि कर्नाटक की राज्य सरकार ने अब अपने कर्मचारियों हेतु ओल्ड पेंशन स्कीम से जुड़े हुए कुछ अहम आदेश जारी किए हैं।

कुछ विशेष परिस्थितियों में ओल्ड पेंशन योजना का होगा विकल्प

हमारी केंद्र सरकार की तरफ से हाल ही में अभी कुछ दिन पहले एक सर्कुलर को जारी किया गया था। इसमें नेशनल पेंशन स्कीम के अंतर्गत आने वाले कुछ सरकारी कर्मियों को कुछ खास परिस्थितियों में ओल्ड पेंशन स्कीम का विकल्प चुनने का मौका दिया गया था।

इस तरह से हम आपको बता दें कि सरकार ने जारी किए गए इस सर्कुलर में यह स्पष्ट किया था कि अगर किसी सरकारी कर्मचारी की नौकरी के दौरान मृत्यु हो जाती है या फिर अमान्यता अथवा अक्षमता के आधार पर नौकरी से मुक्त कर दिया जाता है तो वह कर्मचारी या फिर इसका परिवार ओल्ड पेंशन स्कीम के फायदे का चयन कर सकता है।

तो इसके लिए सरकारी कर्मियों को फॉर्म-1 और फॉर्म-2 भरकर अनिवार्य तौर पर जमा करना होगा। इस तरह से हम आपको बता दें कि इस प्रावधान को केंद्रीय सिविल सेवा के नियम और 2021 के नियम 10 के अंतर्गत लागू किया गया है।

राजस्थान राज्य में किया गया है नया आदेश जारी

राजस्थान राज्य सरकार की बात करें तो 5 जून 2025 को राज्य सरकार की तरफ से एक अत्यधिक महत्वपूर्ण आदेश की घोषणा जारी की गई है। इस आदेश में नेशनल पेंशन स्कीम के अंतर्गत सरकारी कर्मचारियों कि यदि मौत हो जाती है या फिर सेवा से मुक्त कर दिया जाता है तो इन सबको ओल्ड पेंशन स्कीम का फायदा लेने का विकल्प दिया जाएगा। इस तरह से हम आपको बता दें कि इस आदेश को आईएएस अधिकारी आलोक की जब मृत्यु हुई थी तो इसके बाद घोषित किया गया था।

पुरानी पेंशन योजना के पक्ष और विपक्ष

ओपीएस योजना के अंतर्गत निम्नलिखित हमने पक्ष और विपक्ष के बारे में जानकारी दी है :-

ओपीएस के पक्ष :-

  • ओल्ड पेंशन योजना के द्वारा सरकारी कर्मियों को सेवानिवृत्ति के पश्चात एक निश्चित आय मिलती है और यह खासतौर से बढ़ती हुई महंगाई के इस दौर में काफी ज्यादा अहम है।
  • ओपीएस की मांग सारे सरकारी कर्मचारी संगठनों के मध्य काफी ज्यादा मजबूत है और यदि इसे बहाल किया जाता है तो सरकारी कर्मियों का मनोबल दृढ़ होगा।
  • देश के वृद्ध नागरिकों के लिए ओल्ड पेंशन योजना एक मजबूत सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने वाली योजना है।

ओपीएस के विपक्ष :-

  • ओल्ड पेंशन योजना एक बिना फंड वाली योजना है जो सरकार के ऊपर दीर्घकालिक समय तक वित्तीय बोझ बढ़ा सकती है।
  • सेवानिवृत हो चुके सरकारी कर्मचारियों को पेंशन का जो भुगतान किया जाता है वह वर्तमान कर्मचारियों के करों के माध्यम से किया जाता है जिसकी वजह से युवा पीढ़ी के ऊपर बोझ होता है।
  • ओल्ड पेंशन योजना को अगर लाया जाता है तो इसकी वजह से देश के राज्यों का जो वित्तीय बोझ है इसमें तनाव हो सकता है और इसके बारे में भारतीय रिजर्व बैंक ने भी अपने एक लेख में बताया है।

भविष्य की क्या हो सकती है संभावनाएं

हमारी केंद्र सरकार ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम को शुरू करके कर्मचारियों की मांगों और साथ में वित्तीय स्थिरता के मध्य संतुलन को बनाने का प्रयास किया गया है। परंतु हम आपको बता दें कि कुछ कर्मचारी संगठन और गैर भाजपा शासित राज्यों में लगातार ओल्ड पेंशन स्कीम को पूरी तरह से लागू करने पर दबाव बनाया जा रहा है।

यदि हम आने वाले समय की बात करें तो महाराष्ट्र व हरियाणा और देश के कुछ राज्यों में जब विधानसभा के चुनाव होंगे तो पुरानी पेंशन योजना का मुद्दा राजनीतिक रूप ले सकता है।

तो यहां हम सभी सरकारी कर्मियों को यही राय देना चाहते हैं कि वे अपनी पेंशन योजना को जब चुनें तो कुछ सावधानी जरूर बरतें। वहीं इसके साथ सरकार की तरफ से भी यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि यदि कोई नई योजना लाई जाती है तो वह दीर्घकालिक तौर पर टिकाऊ होने के साथ-साथ मौजूदा समय की पीढ़ी पर हद से ज्यादा बोझ ना डाल पाए।

Join Telegram

Join Now

 

Leave a Comment

Sticky WhatsApp Join Button ग्रुप से जुड़ें